कौन इतना सँवर के आया है।
चाँद है या कि उसका साया है।।
डर सा लगता है उसको छूने में
दिल ने भी किस से दिल लगाया है।।
सच है सौ फीसदी मै उसका हूँ
वो मेरे हक़ में कितना आया है।।
चाँदनी से मैं जल गया होता
धूप की बर्फ ने बचाया है।।
चांदनी भी उसी से लिपटी है
जिसने हरदम उसे सताया है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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