जाने क्या सोचकर नही लौटा ।
छोड़कर घर वो घर नही लौटा।।
कुछ नए लोग आ गए लेकिन
जाने वाला इधर नही लौटा।।
और माँ बाप जी के क्या करते
जब वही उम्रभर नही लौटा।।
उस परिंदे में कोई बात तो है
फिर से उस पेड़ पर नहीं लौटा।।
हाल सुन कर मेरा वो रो देता
पर वो लेने ख़बर नही लौटा।।
कितना रोते हम और क्यों रोते
जाने वाला अगर नही लौटा।।
सच यही है कि कोई भी पत्ता
टूटकर शाख पर नही लौटा।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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