कुछ भी ज़्यादा कि कम मिलो मुझको।

जो हो जैसे हो तुम मिलो मुझको।।

यूँ सताओगे कौन चाहेगा

और अगले जनम मिलो मुझको।।

सर्द रिश्ते बहुत नहीं चलते

होके गरमा गरम मिलो मुझको।।

यूँ भी अब ताबे-इन्तिज़ार नहीं

जानेमन एकदम मिलो मुझको।।

दम न टूटे तेरे सराबों में 

तोड़कर हर भरम मिलो मुझको।।

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