छुप कर अश्रु बहाना छोड़ो

दुनिया सिर्फ दिखावे की है।

खुद को ख़्वाब दिखाना छोड़ो

चलती आज छलावे की है।।


नन्हा बालक भी रोता है

अपनी भूख बताने ख़ातिर

माँ चन्दा को भैया कहती

बालक को बहलाने ख़ातिर

तुम भी सादा बाना छोड़ो

अब महफ़िल पहनावे की है।।


क्या तुमने ही प्रेम किया है

या उसने स्वीकार किया है

या इकतरफा प्रेम स्वयं ही

तुमने अंगीकार किया है

अब दिल पर पछताना छोड़ो

 बात भले पछतावे की है।।


Suresh Sahani ,kanpur

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है