बरसे मेरे मिज़ाज के बादल नहीं कभी।

मैंने पसारा आस में करतल नहीं कभी।।

ये था कि तुम मिलोगे तो चाहूंगा उम्र भर

पर था तुम्हारे प्यार में पागल नहीं कभी।।

माँ उम्र भर किसी की भी रहती नहीं मगर

सर से हटा दुआओं का आँचल नहीं कभी।।

मंगल नहीं किया ये भले बेबसी रही

लेकिन किया किसी का अमंगल नहीं कभी।।

क़िस्मत ने मुझको नाच नचाया बहुत मगर

टूटी मेरे ज़मीर की पायल नहीं कभी।।


  साभार

Suresh Sahani

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