चर्चा है घर चौबारे में ।
क्या बोलूं उसके बारे में।।
घुप्प अंधेरे में सहमत थे
मुकर गए जो उजियारे में।।
इसको प्यार कहाँ से कह दे
स्वार्थ निहित है जब प्यारे में।।
निष्ठा इस युग मे ऐसी है
ठंडक गोया अंगारे में।।
अम्मा टूट गयी है दिल से
बेटे खुश हैं बँटवारे में।।
सुरेश साहनी
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