तुझको पाने की दुआ क्या करते।

सिर्फ़ हम करके वफ़ा क्या करते।।

हम खिजाओं से गिला क्या करते।

हम बहारों का पता क्या करते।।

ज़िन्दगी तुझको पता था सब कुछ

मर न जाते तो भला क्या करते।।

हुस्न को इश्क़ अता कर न सके

बाखुदा और ख़ुदा क्या करते।।

मुन्तज़िर ही रहे  ताउम्र  तेरे

हम भला इसके सिवा क्या करते।।

तेरे बीमार का मरना तय था

तुम भी आते तो दवा क्या करते।। 

दिल मेरा टूट गया टूट गया

प्यार पत्थर से हुआ क्या करते।।

मेरे क़ातिल ने बड़ी हसरत से

जान मांगी थी मना क्या करते।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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