कुछ नहीं धूप की छाँव लेकर चलो।
हौसलों से भरे पाँव लेकर चलो।।
जिस शहर को नहीं गांव से वास्ता
उस शहर की तरफ गाँव लेकर चलो।।
छल फरेबों से दुनिया भरी है तो क्या
मन मे विश्वास का भाव लेकर चलो।।
उस भँवर में कहीं फंस न जाये कोई
उस भँवर की तरफ नाव लेकर चलो।।
जिस जगह चार पल की तसल्ली मिले
ज़िन्दगी को उसी ठाँव लेकर चलो।।
सुरेश साहनी अदीब
कानपुर
8/11/20
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