हमसे उल्फ़त की कहानी पूछ मत।

बात गैरों की जुबानी पूछ मत।।

हम जहाँ पहुँचे वहीं पर रह गए

हमसे  दरिया की रवानी पूछ मत।।

रेत पर बनना बिगड़ना आम है

रेत पर उसकी निशानी पूछ मत।।

वो मेरे पीछे चलेगी उम्र भर

मौत की आदत पुरानी पूछ मत।।

सिर्फ चेहरे की शिकन महसूस कर

क्या हुआ आंखों का पानी पूछ मत।।

चार दिन की ज़िंदगी मे थक गए

और लम्बी ज़िन्दगानी पूछ मत।।

दर्द दिल मे लेके हँसना क्या कहें

खुद की खुद से बेईमानी पूछ मत।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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