अपना दर्द छुपाये रखना 

गैरों ख़ातिर रोते रहना।

अपने दुख को पीकर औरों-

के हित नैन भिगोते रहना।।


फितरत अपनी काली जैसी

जीवन मिला रुदाली जैसा

सपने मिले गृहस्थों जैसे

परिणत हुआ कपाली जैसा


इनसे परे भाग्य को अपने 

दोनों हाथ संजोते रहना।।


यादों की आवाजाही से

स्मृति ने अवकाश ले लिया

एकाकीपन ने जीवन मे

स्थायी आवास ले लिया


जीवन जैसे शेष समय मे

अपना ही शव ढोते रहना।।

Suresh Sahani

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