उस पार चलो तो कविता हो
इक बार मिलो तो कविता हो......
नयनों के मौन निमन्त्रण को
स्वीकार करो तो कविता हो......
इस तन के सूखे कोटर से
किंचित कोंपल अंगड़ाई ले
इन झुर्रीदार त्वचाओं से
विस्मित जीवन तरुणाई ले
सूखे अधरों पर अधरों से
रस धार भरो तो कविता हो......
इक बार मिलो तो कविता हो......
प्रणयाकुल की आकुलता को
इक बार पढो तो बात बने
सौ बार पहल हमने की तुम-
इस बार बढ़ो तो बात बने
लज्जातट का उल्लंघन कर
इक बार बहो तो कविता हो....
उस पार चलो तो कविता हो.....
Suresh Sahani
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