मेरा दुश्मन तो आस्तीन में हैं।
आपका घर कहाँ ज़मीन में है।।
जबकि क़ातिल को जानते हैं सब
महकमा अब भी छानबीन में है।।
क़त्ल करके अज़ीज़ है ज़ालिम
बात कोई तो उस हसीन में है।।
डेमोक्रेसी है दे मोये कुरसी
आज जनमत का दम मशीन में है।।
उनके जलवे उन्हें मुबारक हों
बन्दा तेरह में हैं न तीन में है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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