हम विकासशील देश हैं।हमारे यहाँ इंटरनेट सुविधाएँ 

 विकसित राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम हैं।कितना भी बढ़िया सेट और महंगे से महंगा नेटपैक हो ,काम नहीं करता। क्योंकि गति पर हम भारतीयों का नियंत्रण हैं।हमारी रफ़्तार कम ही रहेगी।जग सुधर जाए  हम नहीं सुधरेंगे ।हम सोचते थे कि इंटरनेट के सुचारू रूप से काम नहीं करने से केवल नुकसान ही होता है।लेकिन अब पता चला कि इसके  लाभ भी हैं।इसका पता तब चला जब हमारी श्रीमती जी ने मुझे वीडियो काल करने का प्रयास किया।नेट नहीं होने से संपर्क नहीं हो पा रहा था । साधारण ऑडियो कॉल किया।मैं मित्रों के साथ आउटिंग पर था।और मैंने फोन पर बोल दिया ,मैं ऑफिस में हूँ।धन्यवाद इंटरनेट वालों का ।सोचिये कितने लोग बाहर वाले बॉस या घर वाले बॉस के कहर से बच जाते हैं।इस तरह कितनी नौकरियां और कितने परिवार सुरक्षित रह लेते हैं।इंटरनेट ठीक से काम करता तो क्या यह सम्भव हो पाता।

फिर सरकारी उपक्रमों के कितने अधिकारी बेमौत मरने से बच जाते हैं।आखिर इतने कम रूपये में परिवार कहाँ चल पाता है।वो तो भला हो वोडाफोन आईडिया और अन्य प्राइवेट कंपनियों का जो अपने पे-रोल पर सरकारी अधिकारियों का भला करती रहती हैं।वरना मेम साहबों का कोप भी कम नहीं होता।मैं तो अंतरजाल की इस मंथर गति का कायल  हो गया हूँ।हे विभिन्नं अंतर्जाल कंपनी सेवाओं !आप इसी प्रकार बाधित होकर चलते रहना!!!और परिवारों को टूटने से बचाती रहना।

व्यंग

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