मैं अज्ञानी ही ठीक प्रभू!!!

मैं अहंकार में सना रहूँ

एक विश्वकोश सा बना रहूँ

या ठूंठ ताड़ सा तना रहूँ

ऐसे ज्ञानी से बेहतर है

यह नादानी ही ठीक प्रभू!!

यह दुनिया जैसे मेला है

रिश्ते-नातों का रेला है

उस पर ही प्राण अकेला है

जब कोई साथ न जाता हो

तो वीरानी ही ठीक प्रभू!!

क्या हाथी घोड़े साथ गये

क्या महल दुमहले साथ गये

क्या बेटी बेटे साथ गये

तब क्या होगा दानाई से

है नादानी ही ठीक प्रभू!!!

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