मेरे आने पे खुश रहना मेरे जाने पे चुप रहना

कोई तो फर्क पड़ता है मेरे होने न होने से।


हमारी प्यास दरिया सी तुम्हारी आस नदिया सी

हमारी पूर्णता है खुद को एक दूजे में खोने से


तुम्हें ढूंढा बहुत बाहर  पुकारा जब भी अकुलाकर

तेरी आवाज आई है हमारे दिल के कोने से


मुहब्बत क्या है पूछो तो हमें कुछ भी नही मालुम

मिटा मैं मेरे होने से मिला तो खुद को खोने से


सुरेश साहनी

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