मस्जिद की तामीर मुक़र्रर।

   मन्दिर की प्राचीर मुक़र्रर।।

      राजा साहब टिकट पा गए

        राजा की जागीर मुक़र्रर।।

ये गरीब पीढ़ी दर पीढ़ी

पाते हैं तक़दीर मुक़र्रर।।

    जो आएगा वो जायेगा

    सबकी है तहरीर मुक़र्रर।।

ख़्वाब न देखो कब होती है

ख्वाबों की तदबीर मुक़र्रर।।

    हर हिस्से की ख़्वाबख्याली

    हर हिस्से की पीर मुक़र्रर।।

आज हमारा कर ही देगा

अब कल की तस्वीर मुक़र्रर।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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