मन्दिर चईये चईये ना।

फिर क्या है चुप रइये ना।।

मज़हब खाने को देगा

दे ना दे चुप रईये ना।।


धरती पे क्या रक्खा है

सबको जन्नत चईये ना।।

उधर शराबी नहरों संग

हूर बहत्तर चईये ना।।


हम उलमा हैं मालूम है

हमको भी घर चईये ना।।

राम पियारे बेघर हैं

हरम बराबर चईये ना।।


मुल्ला और पुजारी को 

पीना मिलकर चईये ना।।

नर्क ज़मीं को करना है

इंसां को डर चईये ना।।


SS

8/11/19

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है