मेरी गली में आपका आना अगर है तो।

मिलिएगा मुझसे दिल जो लगाना अगर है तो।।


यूँ इश्क़ में बहाने ज़रूरी नहीं मगर

अच्छा रहेगा कोई बहाना अगर है तो।। 


दैरोहरम से मेरा ख़ुदा लापता मिला

ले चलिए मैक़दे में ठिकाना अगर है तो।।


सागर में डूबने से कहाँ उज़्र है मुझे

क़िस्मत में आशिक़ी का खज़ाना अगर है तो।। 


ऐ ज़ीस्त झूठी तोहमतों का डर है किसलिए

फिर फिर नये लिबास का पाना अगर है तो।।


दुनिया से उठ लिए तो कोई इंतज़ार क्यों

ले चलिए रस्म सिर्फ़ उठाना अगर है तो।।


उससे तो बेहतर है चरिंदों कि ज़िन्दगी

इक अपने वास्ते जिये जाना अगर है तो।।


इक आप साथ हैं तो कोई ग़म नहीं अदीब

होने दें उसके साथ ज़माना अगर है तो।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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