आज ये ज़िक्रे- आशनाई क्यों।

पहले शाइस्तगी दिखाई क्यों।।


मुझसे तुमने कभी कहा तो नहीं

फिर ये इल्ज़ामें- बेवफ़ाई क्यों।।


अजनबी हूँ तो अजनबी ही रह

आशना है तो ये ढिठाई क्यों।।


इंतेख़ाबात को गए रिश्ते

कशमकश तक ये बात आई क्यों।। 


राब्ता जब नहीं रहा उनसे

 देख कर आँख डबडबाई क्यों।।


साहनी तुम से प्यार करता था

बात इतनी बड़ी छुपाई क्यों।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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