फिर मुझे ग़म ने आजमाया है।

आज दिल फिर से मुस्कुराया है।।


कोई अपना है क्या करें यारों 

तीर जानिब से जिसकी आया है।।


क्या ख़ुदा को भी खौफ़ है कोई

आसमानों पे घर बनाया है।।


नींद उसकी भी उड़ रही होगी

तब तो ख्वाबो में मेरे आया है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है