बद करामत मुझे नहीं आती।

ये सियासत मुझे नहीं आती।।


उसकी नफ़रत से है कड़ी नफ़रत

फिर भी नफ़रत मुझे नहीं आती।।


यां अक़ीदत से कोई उज़्र नहीं

पर इबादत मुझे नहीं आती।।


बदनिगाही नहीं रही  फ़ितरत

और हिक़ारत मुझे नहीं आती।।


यूँ भी तनक़ीद किस तरह करता

जब मलामत मुझे नहीं आती।।


कौड़ियों में रहा इसी कारण

ये तिजारत मुझे नहीं आती।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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