पैर जब जंज़ीर से वाकिफ़ न् थे।
हम किसी तकदीर से वाकिफ न् थे।।
ये नहीं तदबीर से वाकिफ़ न् थे।
आप की तस्वीर से वाकिफ़ न् थे।।
डूब कर हम रक़्स करते थे मगर
रक़्स की तासीर से वाकिफ़ न् थे।।
किस बिना पर मुझको काफ़िर कह गए
आप जब तफ़्सीर से वाकिफ़ न् थे।।
ख़्वाब अच्छे दिन के देखे थे मगर
आज की ताबीर से वाकिफ़ न् थे।।
इल्म का खाया न् था जब तक समर
बाकसम तक़सीर से वाकिफ़ न् थे।।
बालपन तक मन के राजा थे सुरेश
तब किसी जागीर से वाकिफ न् थे।।
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सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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