तुम महफ़िल में होकर तन्हा तन्हा हो
मैं तन्हा रहकर भी साथ तुम्हारे हूँ।।
राग रंग में खोकर तुम तो भूल गए
मैं सुध बुध खोकर भी साथ तुम्हारे हूँ।।
तुम जीवन जी कर भी मेरे नहीं हुए
मैं तुम पर मर कर भी साथ तुम्हारे हूँ।।
तुम मेरा सानिध्य भोग मुंह फेर गए
मैं उपेक्षा पर भी साथ तुम्हारे हूँ।।
Comments
Post a Comment