ये किसकी सिम्त चलना चाहता हूँ।
मैं आख़िर क्या बदलना चाहता हूँ।।
तेरे ख्वाबों में पलना चाहता हूँ।
मैं खुश होना मचलना चाहता हूँ।।
है मुझ सा कोई मेरे आईने में
मग़र मैं मुझसे मिलना चाहता हूँ।।
ये माना हूँ गिरा अहले नज़र में
अभी तो मैं सम्हलना चाहता हूं।।
मैं लेकर तिश्नगी की शिद्दतों को
तेरे शीशे में ढलना चाहता हूँ।।
मुझे इन महफिलों में मत तलाशो
मैं अन्धेरों में जलना चाहता हूँ।।
चलो तुम तो वहाँ गुल भी खिलेंगे
गुलों सा मैं भी खिलना चाहता हूँ।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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