इस कविता की प्रेरणा अनूप शुक्ल जी की पोस्ट बनी।


नोटबन्दी ने सियासत में नए आयाम जोड़े हैं।

समूचे देश को अब एक जैसा काम जोड़े हैं।।

सभी हैं चोर अधिकारी,करमचारी कि व्यापारी

मिले हैं शाह चौकीदार बहुत बदनाम जोड़े हैं।।

खड़े हैं एक सफ में सारे मोदी जी की मर्जी से

नहीं तो कब सियासत ने  रहीम-ओ-राम जोड़े हैं।।

जिसे गांधी न कर पाये करा तस्वीर ने उनकी

घुमाया  सिर्फ चेहरा और खास-ओ-आम जोड़े हैं।।

तुम्हें मुजरिम ने लूटा है ,लुटे हैं मुंसिफ़ी से हम

मेरे हिन्दोस्तां को एक सा अंजाम जोड़े हैं।।

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