पहले पत्थरदारी की।

फिर शीशे से यारी की।।

जन्म हुआ संघर्षों में

मैंने कब तैयारी की।।

सुन कर तुम हँस सकते हो

बात मेरी ख़ुद्दारी की।।

प्यार मिले इस लालच में

ख़ुशियाँ बहुत उधारी की।।

जान हथेली पर रक्खी

तब जाकर सरदारी की।।

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