क्या तुम जो चाहोगे वो ही लिख दोगे।
खेती है क्या अपनों को ही लिख दोगे।।
तुमसे सहमत है तो कोई बात नहीं
सच बोला तो उसको द्रोही लिख दोगे।।
जिससे राहें तक बतियाती दिखती हैं
उसको भी अनजान बटोही लिख दोगे।।
छल से धन दौलत पा बैठे हो लेकिन
किस्मत को कैसे आरोही लिख दोगे।।
अपनो को ठगने में तुमको हर्ज कहाँ
तुम तो मुझको ही निर्मोही लिख दोगे।।
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