हमपे तोहमत भले लगा देते।
तुम तो अहदे वफ़ा निभा देते।।
तुम पे हर इक खुशी लुटा देते।
प्यार से तुम जो मुस्करा देते।।
ज़ख़्म सीने के जगमगा उठते
तुम जो झूठा भी आसरा देते।।
तुमसे प्याले की जुस्तजू कब थी
जाम आंखों से जो पिला देते।।
क्या ज़रूरी थी ग़ैर की महफ़िल
हमसे कहते तो क्या न ला देते।।
हम न पी कर भी बेख़ुदी में रहे।
कोई इल्ज़ाम मय को क्या देते।।
तुम जो आते सुरेश इस दिल मे
क्यों किसी और को बिठा देते।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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