आदमी से कहाँ बचा रहता।

वो अगर यूँ न् लापता रहता।।


वक़्त वो उम्र भर  नहीं लौटा

फिर मैं किसके लिए रुका रहता।।


हुस्न ने जब बदल लिए चेहरे

इश्क़ कब तक वही बना रहता।।


उसकी मर्ज़ी पे क्यों गुरेज़ करें

देर कितना है बुलबुला  रहता।।


खलवतें ज़िन्दगी का हिस्सा हैं

साथ कब तक है काफिला रहता।।


साहनी तू  है तो ख़ुदा खुश है

मैं जो होता क्या ख़ुदा रहता।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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