आप नाहक कमान ताने थे।
जान लेने के सौ बहाने थे
तीर थे जाल और दाने थे।
मेरे जैसे कई निशाने थे ।।
चाहते तो वो जीत भी जाते
उनको पाशे ही तो बिछाने थे।।
दिमाग दिल जिगर मेरी नज़रें
उनकी ख़ातिर कई ठिकाने थे।।
उनकी ताकत नई थी जोश नया
हां मगर पैंतरे पुराने थे।।
लोग पलकें बिछाए रहते थे
हाय क्या दौर क्या ज़माने थे।।
गर्द में वो भी मिल गए जिनके
आसमानों में आशियाने थे।।
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