चांद जो हमसफ़र हुआ होता।
आसमानों पे घर हुआ होता।।
मुश्किलें कुछ तो कम हुईं होतीं
कुछ तो आसां सफर हुआ होता
नूर के साथ दाग भी मिलते
इश्क जो बाअसर हुआ होता।।
हर्ज क्या हम जो चश्मेनम रहते
उनका दामन भी तर हुआ होता।।
तेरे होने से फ़र्क़ पड़ता तो
मैं भी लालो-गुहर हुआ होता।।
सुरेश साहनी कानपुर
94515451
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