आशिक़ी का वही बदल थी क्या।

वो मेरी उलझनों का हल थी क्या।


मुस्कुरा कर नज़र झुका लेना

प्यार की क्या वही पहल थी क्या।।


गुनगुनाते हैं हम जिसे अक्सर

तुम वही सुरमई ग़ज़ल थी क्या।।

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