मेरी आंखों में प्यार पढ़ पाते।

वक़्त रहते बुखार पढ़ पाते।।


मेरे दिल की रहल में रहते तो

हम तुम्हें बार बार पढ़ पाते।।


यूँ न् परदेश में बने रहते

तुम अगर इंतज़ार पढ़ पाते।।


गुलशने दिल हरा भरा रहता

तुम जो इसकी बहार पढ़ पाते।।


हम तुम्हें गुनगुना रहे होते

तुम जो मेरे अशआर पढ़ पाते।।


हम न बाज़ार में खड़े मिलते

हम अगर इश्तहार पढ़ पाते।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है