सब करना मशहूर न करना ।

मुझको मुझसे दूर न करना।।


हद होती है अहदे वफ़ा की 

 इतना भी मजबूर ना करना।।


किशमिश होकर रह जाओगे

तुम ख़ुद को अंगूर न करना।।


दिल तुमसे रोशन रोशन है

तुम इसको बेनूर ना करना।।


बेशक़ तुम बेहद सुंदर हो

पर ख़ुद को मग़रूर न् करना।।


सुरेश साहनी कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है