हुस्न ज़िद पर अड़ा नहीं होता।
तो तमाशा खड़ा नहीं होता।।
दिल न दुनिया न तो समंदर है
दिल ज़्यादः बड़ा नहीं होता।।
बेबसी संगदिल बनाती है
दिल किसी का कड़ा नहीं होता।।
हुस्न को मयकदा नहीं कहते
इश्क़ भी बेवड़ा नहीं होता।।
आशिकों को मिले है ये दौलत
ग़म कहीं पर गड़ा नहीं होता।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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