आपने प्यार से क्या पुकारा मुझे।
ख़ुद ही देने लगे सब सहारा मुझे।।
आप से हसरतें तो मुकम्मल हुई
ज़िन्दगी ने भी हँस कर सँवारा मुझे।।
मुझको कंधे मिले इसमें हैरत तो है
अब तलक था सभी ने उतारा मुझे।।
नूर उनका मुजस्सिम हुआ इस तरह
ख़ुद बुलाने लगा हर नज़ारा मुझे।।
इक दफा जिसकी महफ़िल में रुसवा हुए
फिर उसी ने बुलाया दुबारा मुझे।।
साथ मेरा नहीं जिनको तस्लीम था
आज वो कर रहे हैं गंवारा मुझे।।
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