बड़ी कोशिश से मैं तनहा हुआ हूँ।
अभी उतना कहाँ अच्छा हुआ हूँ।।
न छेड़ो तार इस दिल के मेरी जां
के हर पहलू से मैं टूटा हुआ हूँ।।
मैं अच्छा हूँ ये तुमने ही कहा था
तुम्हीं ने कह दिया बिगड़ा हुआ हूँ।।
ये इक दौलत न हमसे छीन लेना
तुम्हारे दर्द में डूबा हुआ हूँ।।
अगर ज़हमत हो तुर्बत पे न आना
यहाँ मैं चैन से सोया हुआ हूँ।।
मेरी फ़िक्र-ओ-नदामत मिट चुकी है
बड़ी मुश्किल से घरवाला हुआ हूँ।।
तुम्हारे हुस्न का सैदा कभी था
अब अपने आप पर सैदा हुआ हूँ।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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