किसी को चाहतों ने मार डाला।

किसी को नफ़रतों ने मार डाला।।


मैं ज़िन्दा था दुवा से दुश्मनों की

फ़ितरतन दोस्तों ने मार डाला।।


अदाओं पर मैं जिसकी मर मिटा था

उसी की हरकतों ने मार डाला।।


मेरे साक़ी में गोया ज़िंदगी थी

छुड़ाकर ज़ाहिदों ने मार डाला।।


न था अलगाव कोई मैक़शों में

ख़ुदा वालों ने मुझ को मार डाला। 


जो अनपढ़ थे मुहब्बत से भरे थे

मुझे ज़्यादा पढ़ों ने मार डाला।।

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