रिश्ते क्या घर तक टूटे हैं।

दिल जब अंदर तक टूटे हैं।।

महंगाई ने जब तोड़ा तो

टीन कनस्तर तक टूटे हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है