कैसे कह दें अच्छे हो।

तुम भी औरों जैसे हो।।

बातें अच्छी करते हो

चाल फरेबी चलते हो।।

कोई भी फंस सकता है

भोले भाले दिखते हो।।

कौन यकीं कर पायेगा

तुम भी खंज़र रखते हो।।

ख़ैर पुरानी बातों को

छोड़ो किनमे उलझे हो।।

कितने खोये खोये हो

तनहा तनहा लगते हो।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है