मुझे मत बताओ मेरी राह क्या है।
वही कर रहा हूँ जो दिल चाहता है।।
न बनने की हसरत न मिटने की ख़्वाहिश
मेरा फलसफा दो ज़हाँ से जुदा है।।
न जीने से ऊबन न मरने का डर है
मुझे मेरे जीने का मकसद पता है।।
सभी चल रहे अपनी अपनी डगर पर
कोई अब किसी से कहाँ पूछता है।।
न उज़रत किसी से न चाहत किसी की
न उल्फ़त न रकबत न शिकवा-गिला है।।
मुझे क्या ग़रज शेख दैरो-हरम से
कि अब मयक़दे का पता मिल गया है।।
सुरेशसाहनी
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