कुछ ख़ास नहीं फिर भी हम आम नहीं रहते
जब मेरी कहानी में वो फेरबदल करता।।
ये प्यार भरी नज़रें जिस दम वो फिरा देता
बेदम को अदम करता फ़ानी को अज़ल करता।।
मुरझाई कली दिल की खिलकर के कँवल होती
जब तन को मेरे छूकर वो ताजमहल करता।।
कुछ ख़ास नहीं फिर भी हम आम नहीं रहते
जब मेरी कहानी में वो फेरबदल करता।।
ये प्यार भरी नज़रें जिस दम वो फिरा देता
बेदम को अदम करता फ़ानी को अज़ल करता।।
मुरझाई कली दिल की खिलकर के कँवल होती
जब तन को मेरे छूकर वो ताजमहल करता।।
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