प्यार मुहब्बत वाली कविता
अच्छी सूरत वाली कविता
काली जुल्फों वाली कविता
तीखे नैनों वाली कविता
सचमुच लिखना भूल गया हूँ।
कविता कहना भूल गया हूँ।।
हरे भरे खेतों की कविता
हल-बैलों जोतों की कविता
गाते हुए किसानों वाली
भरे हुए खलिहानों वाली
कविता बोना भूल गया हूँ।।
लाऊं प्यारे गांव कहाँ से
वो पेड़ों की छाँव कहाँ से
झुरमुट झाड़ी बागों वालीं
वो सनेह के धागों वाली
कविता लाना भूल गया हूँ।।
बौनों वाली परियों वाली
तारों की फुलझड़ियों वाली
तितली वाली फूलों वाली
इंद्रधनुष के झूलों वाली
लोरी गाना भूल गया हूँ।।
नून तेल लकड़ी में फंसकर
जाने किस टंगड़ी में फँसकर
जैसे समय घसीट रहा हूँ
इक लकीर ही पीट रहा हूँ
कलम चलाना भूल गया हूँ।।
सचमुच लिखना भूल गया हूँ।।
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