ख़्वाब मत देख नींद भी ले ले।

नूर भर भर के तीरगी ले ले।।


मौत को डर है इश्क़ कहता है

हुस्न पे मर के ज़िन्दगी ले ले।।


दूर तक हैं बला के अंधियारे

कुछ दुआओं की रोशनी ले ले।।


इश्क़ है नाम सब गँवाने का

हुस्न से जो मिले वही ले ले।।


जितने दरिया  हैं सब तो खारे हैं

प्यास के वास्ते नदी ले ले।।


तेरा आशिक़ चला है मक़तल को

जाते जाते तो हाज़िरी ले ले।।


ज़ीस्त उम्मीद का समन्दर है

हसरतों भर तो तिश्नगी ले ले।।


सुरेश साहनी,कानपुर

9451545132

Email:-  srshsahani@gmail.com

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