नित्य सृजन करते हुए कवि रच गए पहाड़।

जहां निधन उनका हुआ सब कुछ हुआ कबाड़।।


बच्चों का साहित्य से इतना रहा लगाव।

कुछ दिन वे अनमोल थी फिर रद्दी बेभाव।।

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