भले परदेश में अच्छा सा घर है।

शहर अपना मगर अपना शहर है।।

सभी को एक जैसी क्या दुआ दूँ

कोई दहकां है कोई कूजागर हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है