दीद नज़रों तलक नहीं आयी।

ईद डेरों तलक नहीं आयी।।


बात इतनी कभी न बढ़ पाती

बात अपनों तलक नहीं आयी।।


मौत ने इक दफा जगाया था

नींद वर्षों तलक नहीं आई।।


जाम हाथों में आके लौट गये

प्यास होठों तलक नहीं आयी।।

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