फिर कहीं इस्लाम ख़तरे में ना हो

फिर कहीं श्रीराम ख़तरे में ना हो

आदमी  मरता है   कोई ग़म नहीं

लीडरी का काम ख़तरे में ना हो

आशिक़ी में रिस्क जमकर लीजिये

देखकर अंज़ाम खतरे में ना हो

हर फ़टी में टांग जमकर डालिये

आपके आराम ख़तरे में ना हो

रात दिन खटिये मगर यह ध्यान हो

दिन सुबह या शाम ख़तरे में ना हो

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