जब तलक जीते रहेंगे प्यार वाले।
दिन रहेंगे हुस्न के श्रृंगार वाले।।
क्या करोगे हद से ज्यादा रूठकर यदि
रूठ जायेंगे तेरे मनुहार वाले।।
चाहने वाले हैं सौदागर नहीं हम
भाव मत खाओ अभी बाज़ार वाले।।
मत गहो विषबेल का दामन अनारो
क्या करेंगे दिल तेरे बीमार वाले।।
हम न देखेंगे तमाशा साहिलों से
हम तो आशिक हैं तेरे मझधार वाले।।
औपचारिकता न होगी साफ सुन लो
और होंगे शुक्रिया आभार वाले।।
फिर प्रलय तक क्यों प्रतीक्षा साहनी जी
दिन न आयेंगे पुनः अभिसार वाले।।
सुरेश साहनी ,कानपुर
9451545132
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