हम प्रशस्ति गायन करते तो

अच्छे कवि कहला सकते थे

और बहुत कुछ पा सकते थे


दरबारी बनकर बहुतों को 

जागीरें पाते देखा है

आगे- पीछे घूम घूम कर

पद-प्रतिष्ठ होते देखा है


यदि प्रशस्ति गायन करते तो

हम भी मनसब पा सकते थे

यश वैभव सब पा सकते थे


सत्ता के सापेक्ष रहा जो

सत्ता का गुणगान करेगा

अंतरात्मा मर जाए पर

सत्ता में तो मान रहेगा


हम यह कष्ट उठा लेते तो

अखबारों में छा सकते थे

लालकिले से गा सकते थे


हम भी भटगायन करते तो......

Suresh Sahani Kanpur

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